By : Admin
Saturday, 8:34 PM, Jan 29, 2022
Published in : Short Stories
Google पर यूजर्स के लोकेशन डेटा पर नजर रखने और प्रॉफ़िट कमाने का आरोप लगाया गया है और ये आरोप लगाया है अमेरिका के टॉप जस्टिस अधिकारियों के एक ग्रुप ने । आरोप लगाने के पीचे यह तर्क दिया गया है कि Google डिटेल प्रोफाइल बनाती है और अपने अरबों यूजर्स से जुटाए गए डेटा के साथ ज्यादा टारगेटेड एडवरटिज़मेंट करती है। इसमे यूजर की लोकेशन एक अहम हिस्सा होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार रिपोर्ट के मुताबिक, वॉशिंगटन में अटॉर्नी जनरल कार्ल रैसीन ने कहा कि Google ने कंस्यूमर्स को यह झूठा भरोसा दिला रखा है कि उनके अकाउंट और डिवाइस की सेटिंग बदलने से कस्टमर अपनी प्राइवेसी को प्रोटेक्ट कर पाएंगे । इस मामले में तीन अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने Google के खिलाफ केस दायर किया है।
Google अपना बचाओ करते हुये कहता है कि अधिकारियों के दावे गलत थे और जो भी सेटिंग से संबन्धित दावे किए गए है वो पुराने दावों पर आधारित थे। एक बयान में Google ने ये भी कहा कि हमने हमेशा अपने प्रोडक्ट्स में प्राइवेसी फीचर्स जोड़े हैं और लोकेशन डेटा के लिए सरल और मजबूत कंट्रोल दिया है। हम खुद को डिफ़ेंड करेंगे ।
अटॉर्नी जनरल रैसीन ने तर्क दिया कि 2014 से 2019 तक Google ने दावा किया कि यूजर्स अपनी "लोकेशन हिस्ट्री" सेटिंग को मैनुअली बंद कर सकते हैं और फिर ‘यूजर जिन जगहों पर जाते हैं, उन्हें गूगल द्वारा स्टोर नहीं किया जाता है।' रैसीन ने कहा कि यह गलत है। उन्होंने कहा , लोकेशन हिस्ट्री बंद होने पर भी Google अपने यूजर्स की लोकेशन कलेक्ट और स्टोर करती रहती है।
साथ ही अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया है कि गूगल ने ‘डार्क पैटर्न' या डिजाइन ट्रिक्स का इस्तेमाल करा है। जिससे वो यूजर्स की पसंद को प्रभावित कर सके और कंपनी को फायदा पहुंच सके। जस्टिस अधिकारियों के ग्रुप ने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ ऐप्स में लोकेशन देने के लिए यूजर्स को बार-बार मैनुपुलेट किया जाता है और गूगल दावा करती है कि इससे प्रोडक्ट ठीक से काम करेगा, जबकि वास्तव में उस ऐप के लिए लोकेशन की कोई जरूरत ही नहीं होती है ।
इंडियाना की अटॉर्नी जनरल टॉड रोकिता ने एक बयान में कहा कि लिमिटेड मात्रा में लोकेशन डेटा से भी किसी व्यक्ति विशेष की पहचान की जा सकती है और साथ ही उसकी रूटीन का पता भी लगाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस जानकारी का इस्तेमाल यूजर के राजनीतिक या धार्मिक विश्वासों के बारे में जानने, इनकम, हेल्थ और दूसरी सेंसटिव पर्सनल डिटेल्स का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
Facebook का Cryptocurrency प्रोजेक्ट Diem Association (पहले का नाम Libra) अब खतरे में नजर आ रहा है । Bloomberg की एक रिपोर्ट के अनुसार , कंपनी इसे बेचने का प्लान बना रही है । कंपनी कैपिटल इनवेस्टर्स से बात कर रही है कि वो अपने एसेट्स को कैसे बेच सकती है ।
Meta ने पहले Calibra (अब Novi ) को साल 2019 में ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस के तौर पर लॉंच किया था । उस समय इनवेस्टर्स ने इसे इसकी क्रिप्टोकरेंसी Libra (अब Diem) से सपोर्ट किया था साथ ही उस समय कंपनी ने ये भी कहा था कि Calibra का पहला प्रोडक्ट Libra के लिए डिजिटल वॉलेट होगा । यह Messenger, WhatsApp के बाद अलग ऐप 2020 में उपलब्ध कराया जाएगा । हालांकि, बाद में ये आइडिया रेगुलेटर्स को पसंद नहीं आया और इसके बाद कंपनी ने एक सिंपलर वर्जन Diem के फॉर्म में पेश किया जिसे अमेरिकी डॉलर से सपोर्ट दिया था ।
इसके लिए मेटा ने Silvergate Bank के साथ पार्टनरशिप की ताकि Diem स्टेबल क्वॉइन को जारी कर सके । आपको बताते चले कि स्टेबल क्वॉइन को ट्रेडिशनल क्रिप्टोकरेंसी के मुकाबले कम वोलेटाइल माना जाता है । Diem के केस में ये अमेरिकी डॉलर था । लेकिन, रेगुलटेर्स इससे फिर भी प्रभावित नहीं हुए और Diem फेल हो गया ।
अब कंपनी इसके सभी एसेट्स को बेचने की तैयारी कंपनी कर रही है ताकि वेंचर कैपिटल फर्म जैसे इनवेस्टर्स को दुबारा पैसे वापस किए जा सके । यानी लगभग दो साल बाद अब ये प्रोजेक्ट बंद करने की कगार पर आ गया है ।
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