By : techchauraha
Tuesday, 3:17 PM, Dec 28, 2021
Published in : Technology
दोस्तो जैसे जैसे टेक्नालजी क्षेत्र में बदलाव होते जा रहे है वैसे वैसे ही नए नए कान्सेप्ट सामने आ रहे है। इस समय WEB3 पर काफी चर्चायेँ हो रही है । जैसे की वेब 3 क्या है? ( what is web3 in hindi ? ) और आने वाले समय में ये कैसे हमारी दुनिया में इंटरनेट को बदल कर रख देगा । देखिये समय के साथ साथ हर चीज में बदलाओ होते रहते है जैसे शुरुआत में 2G आया था फिर 3G फिर 4G और अब 5G और 6G की बाते हो रही है आईउर जल्द ही ये टेक्नालजी भी आ जाएगी । वैसे ही WEB3 भी आज एक कान्सैप्ट है जो आने वाले कुछ समय में इंटरनेट के पूरे स्टृकचर को बदल देगा ।
WEB3 क्या है , इसको जानने के पहले समझते है की WEB की शुरुआत कहाँ से हुई थी । अगर शुरुआत में चले तो सबसे पहले जब इंटरनेट की शुरुआत लगभग 1980 - 90 के दशक में हुई थी। तो उस समय जैसे इंटरनेट आज है वैसा नहीं था काफी लिमिटेड और सिम्पल सा हुआ करता था । इंटरनेट की खोज के बाद से यानि जब इंटरनेट को आम जनता यूज करना शुरू की थी तो 1991 से 2004 तक WEB1.0 या WEB1 का समय था । फिर 2004 से प्रेजेंट टाइम तक WEB2.0 या WEB2 चल रहा है । अब जो इसके बाद आने वाले कुछ समय बाद आयेगा उसे WEB3.0 या WEB3 का समय कह सकते है । चलिये अब डीटेल में समझते है WEB1 और WEB2 और WEB3 क्या है –
WEB1 क्या है : जैसा की हमने पहले ही बताया है की ये इंटरनेट का सबसे शुरुआती दौर था , जब इंटरनेट आम लोगो के लिए इंट्रड्यूस ही हुआ था । 1991 से 2004 के बीच के समय को हम कह सकते है है की ये WEB1.0 या WEB1 का टाइम था । उस समय चीजे इतनी काम्प्लिकेटेड नहीं थी या कह ले आज के जितनी सर्विसेस भी नहीं थी।
वो एक ऐसा समय था जब इंटरनेट यूजर एक कंजुमर था यानि कि यूजर केवल इंटरनेट पर ऑनलाइन आकर डाटा को कंज्यूम करता था । वो किसी भी तरह से वेब पेजेज़ से इंटरैक्ट नहीं कर सकता था । बस स्टैटिक कुछ वेब पेजेस होते थे तो हायपरलिंक कि हेल्प से एक दूसरे से कनेक्टेड रहते थे, जिसे यूजर सिर्फ पढ़ सकता था। वेब पेजेज़ से इंटेरैक्ट करने का कोई भी माध्यम उपलब्ध नहीं था जैसे की लॉगिन, रिप्लाइ, लाइक, कमेंट या कह लीजिये फीडबैक का कोई साधन नहीं था ।
WEB2 क्या है : ये 2004 से लेकर अब तक का समय है । 2004 के बाद से Facebook जैसे कई सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स सामने आए । जहां हम वेब पेजेस से इंटरैक्ट कर सकते है । कुछ भी पोस्ट कर सकते है उस पर अपना फीडबैक दे सकते है । यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर लाइक, शेयर सब्सक्राइब कर सकते है । इसको हम अडवरटाइज़मेंट का युग भी कह सकते है । क्यूंकी आज के समय में GOOGLE और META ( पूर्वनाम Facebook ) जैसी बड़ी कंपनीया इंटरनेट पर राज कर रही है । इन कंपनियों के पास अरबों यूजर्स का डाटा है जैसे वो क्या करते है, कहा जाने की सोच रहे है , उन्हे क्या पसंद है क्या नहीं पसंद है , क्या खाना पीना चाहते है। इस तरह हम कह सकते है आज जितना हम अपने बारे में नहीं जानते है उससे जादा ये कोंपनीज हमारी पसंद नापसंद के बारे में जानती है और इसी चीज का फायदा ये हमारे डेटा को अडवरटाइज़मेंट कंपनियों को बेच कर उठाती है और करोड़ो रूपाये बनाती है। इसका एक्जाम्पल आप खुद ही कई बार देखे होंगे कि जैसे ही हम गूगल पर किसी प्रॉडक्ट के बारे में सर्च करते है थोड़ी देर बाद ही हम जैसे ही कोई ऐप या इंटरनेट ब्राउज़ करते है तो हमे अलग अलग कंपनियों की उसी प्रॉडक्ट की अडवरटाइज़मेंट देखने को मिलती है। एक तरह से इन बड़ी कंपनियों का प्रभुत्व है इंटरनेट पर। ये WEB1 से काफी एडवांस है और इस बात से भी हम इंकार नहीं कर सकते है कि इससे हम घर बैठे कई सारे काम कर सकते है । हम सभी इसे यूज करते है तो इसके बारे में हमे सारी जानकारी है ही इसलिए हम इसपर जादा चर्चा नहीं करेंगे।
इसे हम वेब 2.0 से आगे की दुनिया कह सकते है। इसे किसी केंद्रीय शक्ति द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा(जैसे कि कोई भी बड़ी टेक कंपनी या कोई सरकार), बल्कि डाटा पर खुद यूजर्स का पूरा कंट्रोल होगा। वेब 3.0 इंटरनेट का अगला वर्जन है, यहाँ सर्विसेस ब्लाकचेन पर चलेंगी। अगर हम WEB2 और WEB3 की तुलना करें, तो जहां क्लाउड प्लेटफार्म या आन-प्रिमाइसेस इंफ्रास्टक्चर वेब 2 सर्विसेस की नींव तैयार करते हैं, वहीं वेब3 में सभी सेवाएं ब्लाकचेन पर बनाई जाएगी। इन दोनों में मेन डिफ़्रेन्स ये होगा कि क्लाउड को अमेजन, गूगल और माइक्रोसाफ्ट जैसे बड़ी और आन-प्रिमाइसेस कंपनियों या संगठनों द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इस तरह यह सेंट्रलाइज्ड यानी केंद्रीकृत होता है। वहीं वेब 3.0 में ब्लाकचेन के जरिए डाटा पूरे नेटवर्क में डिस्ट्रिब्यूट किया जाएगा । वेब 3.0 डीसेंट्रलाइज्ड यानी विकेंद्रीकृत इंटरनेट है, जो एक पब्लिक ब्लाकचेन पर चलेगा , जिसका यूज क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन के लिए भी किया जाएगा । वेब 3 का सबसे अच्छा उदाहरण एनएफटी यानी नान-फंजिबल टोकन हैं, जिन्हें क्रिप्टो कोइन्स का उपयोग करके खरीदा जाता है।
आज के समय में गूगल और मेटा जैसी बड़ी कंपनियाँ कैसे यूजर के डेटा का इस्तेमाल करके पैसे कमा रही है इसके बारे में तो हम आपको पहले ही बता चुके है इस तरह आप समझ सकते है कि बिचौलिये यूजर्स के डेटा के संरक्षक बन जाते हैं और अडवरटाइज़मेंट से पैसे कमाते हैं। स्टेटकाउंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार , इंटरनेट मीडिया में फेसबुक की 72 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हमारा अभी का जो इंटरनेट मॉडल वेब 2.0 है वो प्राइवसी और साहित्यिक चोरी ( डाटा को चुरा का फिर से पोस्ट करना ) जैसी समस्याएं पैदा करता है, लेकिन वेब 3.0 में समस्या लगभग खतम ही हो जाएगी । अमेरिका के टेक रिपोर्टर केसी न्यूटन ने जब सबसे अधिक देखे जाने वाले टॉप 19 पोस्टों की जांच की तो पाया कि इनमें से केवल चार आरिजिनल पोस्ट थी, जबकि बचे हुये कहीं न कहीं से कॉपी किए गए थे। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के रिसर्चर मैट ड्रायहस्र्र्ट के अनुसार, अभी कुछ कंपनियां इंटरनेट को कंट्रोल करती हैं, लेकिन वेब 3 ऐसे नये इंटरनेट नेटवर्क, सर्च इंजन आदि उपलब्ध कराएगा, जिस पर सिर्फ कुछ कंपनियों का अधिकार नहीं होगा।
उम्मीद करते है की ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा । अगर आपको ये आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करें, ताकि उन्हे भी वेब3 क्या है(what is web3) के बारे में पूरी जानकारी मिल सके, धन्यवाद !
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